आज का बांग्लादेश पहले का पाकिस्तान का पूर्वी पाकिस्तान था। उस समय पाकिस्तान दो भाग मे था पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान, पश्चिमी पाकिस्तान के नेता पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को बराबर नहीं मानते थे। पूर्वी पाकिस्तान मे संसद सदस्य पश्चिमी पाकिस्तान से ज्यादे थे (162,138)। 1970 के चुनाव मे पूर्वी पाकिस्तान के नेता (सेख हसीना के पिता) ने चुनाव जीत जिसको पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओ ने प्रधानमंत्री बनाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद सेख मुजीबुर रहमान ने एक आर्मी बनाई जिसका नाम मुक्ति बहिनी था। 1971 मे पूर्वी पाकिस्तान पश्चिमी पाकिस्तान से आजाद करा दिया गया। बांग्लादेश की आजादी मे सेख मुजीबुर रहमान के साथ सेना के अधिकारी मेजर जिउर रहमान का भी मुख्य भूमिका था। जिउर रहमान सेख मुजीबुर रहमान के नजदीक के लोगों मे से एक थे। यहाँ तक कि जब आजादी की घोषणा मेजर जिउर रहमान के द्वारा किया गया तो सेख मुजीबुर रहमान के तरफ से रेडियो मे कहा गया।
जब बांग्लादेश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था तो उस समय एक गुट था Jamaat-e-Islami जो नहीं चाहता था कि बांग्लादेश बने और पाकिस्तान के दो टुकड़े हो इसी लिए वो पाकिस्तान की आर्मी को सपोर्ट करते थे। Jamaat-e-Islami ने दो ग्रुप बनाए थे Al –Badar और Al-Shams जिसकी वजह से बांग्लादेश मे पाकिस्तान को युद्ध मे बहुत सहायता मिली थी। साथ ही इन संगठनों ने बंगाल की जनता और औरतों के साथ बहुत मार-काट मचाए थे।
बर्ष 1971 का चुनाव मे सेख मुजीबुर रहमान चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनते है और उनको Father of Nation कहा गया। प्रधानमंत्री बनाने के बाद Jamaat-e-Islami पर रोक लगाई गई और Jamaat-e-Islami के सदस्य या तो पाकिस्तान चले गए या छुप गए और बचे हुए को जेल मे दल दिया गया। साथ ही पाकिस्तान से लड़ाई करने वाले मुक्ति वाहिनी ग्रुप को सेना मे जोड़ा गया और इनको फ़्रीडम फाइटर का दर्ज दिया गया। मुक्ति वाहिनी के लोगों को सेख मुजीबुर रहमान पर बहुत भरोसा था सेख मुजीबुर रहमान का भी झुकाव मुक्ति वाहिनी की तरफ था, क्योंकि दोनों आजादी के लिए लड़े थे। इसी लिए आजादी के बाद सेख मुजीबुर रहमान प्रधानमंत्री बने तो कई फ़ेवर भी मिले। जब मुक्ति वाहिनी को आर्मी मे सामील किया गया तो आर्मी मे दो गुट बन गए, एक मुक्ति वाहिनी और दूसरा पूर्व मे आर्मी वाले जिनकी पोस्टिंग पाकिस्तान मे होती रही थी।
1972 मे मुक्ति वाहिनी को Bangladesh Ministry of Cabinet की मदद से बांग्लादेश सिविल सर्विस मे आरक्षण दिया गया जिसकी आग आज लगी हुई है। जिसकी वजह से सेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा।
आरक्षण-
30% फ़्रीडम फाइटर को दिया गया था, 10% उन औरतों को दिया गया था जिनके साथ पाकिस्तान आर्मी ने जुर्म किया था, 10% पिछड़ी और 5% जनजाति को दिया गया था।
- आरक्षण दिए जाने के बाद आर्मी मे एक गुट ऐसा था जो इससे खुश नहीं था।
- 1975 आते-आते बांग्लादेश की हालत खराब हो गई थी नया नया देश बना था भुखमरी आ गई थी, आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी, देश अस्थिर हो गया था जिसकी वजह से जनता आजादी भूलकर सेख मुजीबुर रहमान के खिलाफ बाते करने लगी थी और इतने कम समय मे सेख मुजीबुर रहमान के लिए सभी चीजों से बाहर निकालने एवं सत्ता मे रहने के लिए बांग्लादेश कृषक श्रमिक आवामी लीग बनाना चाहा जो बांग्लादेश मे एक ही पार्टी होगी। इसको सुनकर लोग और भी गुस्से मे हो गए और आर्मी का एक तबका पहले से गुस्से मे था, बिपछी पार्टी पहले से गुस्से मे था क्योंकि अब ये लोग सत्ता मे काभी भी नहीं आएंगे। फिर माहौल इतना खराब हो जाता है कि 15 अगस्त 1975 को आर्मी के कुछ अधिकारी सेख मुजीबुर रहमान के घर मे घुसकर वहा पर जीतने भी सदस्य मिलते है उनको मार देते है जिसमे सेख मुजीबुर रहमान सहित कुल 17 लोगों की हत्या होती है। जिस आदमी ने बांग्लादेश की आजादी दिलाई उसी देश की आर्मी ने उसकी हत्या कर दी।
इस घटना के बाद सेख मुजीबुर रहमान का पूरा परिवार तो खतम हो गया लेकिन उनकी दो बेटियाँ थी सेख हसीना जो उस समय अपनी बहन के साथ जर्मनी मे थी तो दोनों बहने बच जाती है। अगस्त मे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा सेख मुजीबुर रहमान की दोनों बेटियों को भारत मे राजनयिक शरण दिया जाता है। और अगस्त 1975 से मई 1981 तक सेख हसीना अपनी बहन के साथ नई दिल्ली मे रहती है। उधर आर्मी ने तख्ता पलट तो कर दिया था लेकिन वो लोग आपस मे ही लड़ रहे थे।
7 नवंबर 1975 जिउर रहमान बांग्लादेश की सत्ता संभालते है और सत्ता मे आते ही आरक्षण कम कर देते है, जिउर रहमान चीफ मार्शल ला ऐडमिस्ट्रेसन बनाकर 1977 मे राष्ट्रपति बन जाते है और अपनी राजनीतिक पार्टी बनाते है जिसका नाम बांग्लादेश नेशनल पार्टी था। सत्ता मे आने के बाद इन्होंने जनतंत्र का ध्यान रखा उस समय 88% मुस्लिम और 10.5% हिन्दू और 0.5% अन्य थे। जिउर रहमान ने अपनी राजनीति मुस्लिमों की सोच के तरफ बदला साथ ही Jamaat-e-Islami के साथ संबंध बनाया और उसपर लगे पाबंदियों को हटाया। बांग्लादेश नैशनल पार्टी और Jamaat-e-Islami एलयन्स बनाकर चुनाव लड़े और 1979 मे 300 मे 207 सीट जीत जाते है। 30 मई 1981 मे आर्मी के एक अधिकारी ने जिउर रहमान को मारकर तख्ता पलट कर देते है, फिर हुसैन मोहम्मद इरसद आर्मी रूल लगते है।
1981 मे खलेदा जिउर रहमान की पत्नी बांग्लादेश नैशनल पार्टी की अध्यक्ष बनती है और इसी समय 1981 मे सेख हसीना आवाम लीग की अध्यक्ष बनती है।
1990 मे खालिद और सेख हसीना की पार्टी ने हुसैन मोहम्मद इरसद को तानाशाह का मुद्दा बनाकर प्रदर्शन किया, उसी समय ढाका विश्वविध्यालय मे डॉ शमसाद आलम को मार दिया गया था और जनता सड़क पर आ जाती है और हुसैन मोहम्मद इरसद को देश छोड़कर भागना पड़ता है।
1991 मे चुनाव होता है और खालिद प्रधानमंत्री बनती है। सेख हसीना प्रदर्शन करती रहती है और एक दिन लोगों को यकीन दिलाने मे कामयाब हो जाती है कि सरकार जनता बिरोधी है। फिर 1996 के चुनाव मे सेख हसीना की पार्टी सत्ता मे आती है और सेख हसीना प्रधानमंत्री बनती है। 1997 मे फ़्रीडम फाइटर का कोटा उनके बच्चों के लिए कर देती है। फिर 2001 मे भी सेख हसीना प्रधानमंत्री बनती है।
बांग्लादेश की राजनीति मे एक और आदमी का हस्तक्षेप था जिनका नाम है मोहम्मद यूनिस जिनकी शिक्षा अमेरिका मे हुआ और इन्होंने ग्रामीण बैंक बनाया जो गरीबों को छोटे-छोटे लोन डेटा था बिना कुछ गिरवी रखे। इस कार्य के लिए मोहम्मद यूनिस को नोवेल पुरस्कार दिया गया, US Presidential Medal of Freedom भी मिला। इनकी देश मे बहुत इज्जत थी।
2006 मे दो फाइल विकिलिक के द्वारा बाहर आ गई थी जो मोहम्मद यूनिस के बारे मे थी जिससे मोहम्मद यूनिस को दिक्कत का सामना करना पड़ा-
- मोहम्मद यूनिस की प्राइवेट बाते जिसमे मोहम्मद यूनिस ने सेख हसीना और जिया खालिदा को राजनीति से बाहर कर दिया जाए।
- US के बांग्लादेशी राजदूत मोहम्मद यूनिस से कहते है कि सेख हसीना से बात करके सब ठीक कर देंगे।
उसके बाद सेख हसीना ने कैबिनेट मीटिंग मे मोहम्मद यूनिस को देश के लिए खतरा बताया और कहा कि मोहम्मद यूनिस अपनी अमेरिकन् दोस्त हेनरी क्लिंटन के साथ मिलकर सरकार को गिरना चाहते है इनको रोकना होगा और उनको जेल मे दल दिया गया और ग्रामीण बैंक के पद से भी हट दिया गया।
पुनः 2008 मे सरकार मे आने के बाद सेख हसीना ने Jamat-e-Islami पर रोक लगा दिया गया Jamat-e-Islami के बड़े लीडर को जेल मे बंद कर दिया गया था।
2014 मे सेख हसीना पुनः सरकार मे आती है और खालिद जिया के ट्रस्ट मे जो 1991 से फंड आते थे उनकी जांच करती है। खालिदा को फंड को गलत तरीके से निकालने के लिए दोषी माना, मामला न्यायालय मे गया न्यायालय ने 10 बर्ष की सजा सुनाई।
2018 ढाका विश्वविध्यालय मे दो छात्रों को बस कुचल देती है जिससे छात्रों का प्रदर्शन सुरू हो जाता है उसी समय बेरोजगारी बहुत बढ़ गई थी और फ़्रीडम फाइटर का कोटा भी अब हटाने की मांग चलने लगी थी। यह प्रदर्शन धीरे –धीरे करके देश के सभी विश्वविध्यालय मे होने लगे थे। बांग्लादेश नैशनल पार्टी, Jamat-e-Islami के लोगों को अब उम्मीद दिखी और सभी लोग उस प्रदर्शन का हिस्सा बन जाते है। सरकार दबाव मे या जाती है तथा इसमे बदलाव करती है जिसमे एजुकेशन को छोड़ कर सभी जगह से फ्रीडम फाइटर का कोटा हट देती है और मामला शांत हो जाता है।
दिसम्बर 2018 मे इलेक्शन होते है और शेख हसीना पुनः सरकार मे या जाती है।
बांग्लादेश का रेडिमेट गार्मन्ट व्यापार विश्व के टॉप 5 मे आता है। अकटूबर 2023 मे मजदूर 600 फैक्ट्री बंद करके मांग करते है कि मजदूरी कम है और मुनाफा मालिक ज्यादे कमाता है सैलरी बढ़ा दी जाय। शेख हसीना के पास समस्या यह थी कि आगे वेतन बढ़ाया गया तो लागत बढ़ जाएगी जिससे गार्मन्ट बिजनस मे स्पर्धा बढ़ जाएगा और व्यापारी वियतनाम से माल लेना सुरू कर देंगे जबकि बांग्लादेश की ईकॉनामी इसी व्यापार पर तिक है इसलिए शेख हसीना ने इसको दबा दिया।
इसी बर्ष दिसंबर 2023 मे चुनाव होने थे जीसे बढ़ाकर 7 जनवरी 2024 कर दिया गया। इसी बीच विपक्ष कहता है कि हार चुनाव मे शेख हसीना द्वारा धांधली किया जाता है तो केयर टेकर के द्वारा चुनाव कराया जाए अन्यथा हम चुनाव का वाहिस्कार करेंगे। इलेक्शन कराया गया और शेख हसीना 300 मे से 223 सीट जीतकर सरकार मे या जाती है।
जनवरी 2024 मे कोर्ट द्वारा यह निर्णय दिया गया कि फ्रीडम फाइटर का कोटा हटाना असंबैधानिक है और उसको दोबारा से लागू कर दिया जाता है। फिर सरकार से कहा जाता है कि सदन मे इस कोटे को हट दिया जाय जिसको शेख हसीना ने माना कर दिया जिसके बाद ढाका विश्वविध्यालय के सामाजिक विभाग के 3 छात्र नाहिद इस्लाम, असिफ़मोहम्मद और अबू बकर द्वारा ढाका विश्वविध्यालय मे प्रदर्शन किया जाता है और मांग किया जाता है कि फ्रीडम फाइटर का कोटा हट दिया जाय और शेख मुजीबुर रहमान के खिलाफ नारे लगाए जाते है। बेरोजगारी बहुत ज्यादे थी और धीरे-धीरे यह प्रदर्शन देश के कई विश्वविध्यालयों मे होने लगता है। उसके बाद पूरे देश के लोग इस प्रदर्शन मे सामील हो जाते है। इस प्रदर्शन मे Jamaat-e-Islami, बांग्लादेश नैशनल पार्टी सामील हो जाते है, साथ ही गार्मन्ट वर्कर भी इसमे सामील हो जाते है। यहा से प्रदर्शन मे उग्रता सुरू हो जाता है।
14 जुलाई 2024 को शेख हसीना प्रेस कांफ्रेंस करती है और बोलती है कि फ्रीडम फाइटर को आरक्षण नहीं मिलेगा तो क्या रजाकारों को दिया जाएगा। इस पर प्रदर्शनकारी और भड़क जाते है।
साथ ही शेख हसीना ने लड़कों को कंट्रोल करने के लिए तीनों लड़कों को गायब कर देती है जिसमे से एक लड़के को उठाते समय विडिओ बना लिया जाता है जिसके बाद प्रदर्शन हींसात्मक हो जाता है, पुलिस और प्रदर्शनकारी दोनों तरफ से वार किया जाता है जिसमे कई जाने जाती है।
21 जुलाई 2024 को नाहिद इस्लाम रोड पर बुरी हालत मे पाया जाता है बाकी दोनों लड़कों की भी हालत खराब पी जाती है और हास्पिटल मे भर्ती कराया जाता है। इसको देखकर लोग और भी भड़क जाते है। इसके बाद तीनों लड़कों का विडिओ आया कि प्रदर्सन बंद कर दिया जाय जिसको लोगों ने दबाव डालकर बयान दिलाया गया मन लेते है। फिर सरकार को लगता है कि गलती हो गई है। तीनों लड़कों को 26-27 जुलाई को हास्पिटल से पुनः उठा लेती है और कहती है कि सुरक्षा की दृष्टि से इनको उठाया गया है। उसी दिन कोर्ट का फैसला आता है कि कोटा हटा दिया गया है अब सिर्फ 5% ही दिया जाएगा।
पूरा बांग्लादेश उस समय जल रहा था कोई किसी की नहीं सुन रहा था। सरकार तीनों लड़कों को छोड़ देती है उनकी हालत देख कर लोग और भड़क जाते है, ये तीनों आकार बताते है कि हमे सरिया से मारा गया, इन्जेक्शन लगाए गए और हमसे जबर्जस्ती बयान दिलाया गया, जिसको सुनकर लोग और भड़क जाते है तथा कहा जाता है कि अब हमे शेख हसीना का स्थिपा चाहिए। फिर आपस मे मार कट होता है देश मे कर्फ्यू लगा दिया जाता है इंटरनेट बंद कर दिया जाता है यहा तक कि हेलीकाप्टर से गोली भी चलाई जाती है हार तरीका अपनाया गया लेकिन प्रदर्शन बंद नहीं होता है।
31 जुलाई 2024 को भारत से मदद मांग जाता है लेकिन भारत आंतरिक मामला कहकर माना कर देता है लेकिन शेख हसीना की सुरक्षा को लेकर हा हार देता है।
कत्लेआम के देखते हुए शेख हसीना आर्मी को उतारने की बात करती है। आर्मी चीफ बकर उज जामन जो शेख हसीना के दूर के भाई है जो शेख हसीना को समझते है कि आर्मी से कोई फायदा नहीं है भीड़ इतनी ज्यादे है कि सिर्फ जाने जाएंगी और फायदा कुछ भी नहीं होगा। इसके साथ ही साथ वह सलाह देते है कि भीड़ PM House पहुच रही है आप त्यागपत्र दे देंगी तो मामला शांत हो जाएगा और आपकी सुरक्षा के लिए हम आपको सिफ्ट कर देंगे। सुरू मे तो शेख हसीना ने तो माना कर दिया था लेकिन बाद मे मन जाती है और कहती है कि देश के नाम एक सन्देस देना चाहती हु जिसके लिए माना कर दिया जाता है और 45 मिनट का समय दिया जाता है उनको देश छोड़ने के लिए शेख हसीना 45 मिनट के अंदर त्यागपत्र देते हुए अपनी बहन के साथ देश से बाहर निकाल जाती है और भारत या जाती है।
इसके बाद Jamaat-e-Islami और बांग्लादेश नैशनल पार्टी के द्वारा अवामी पार्टी (सेख हसीना) के लोगों जिसमे हिन्दू है को मार जाने लगा, उनको मार कर लटका दिया गया मंदिर को भी जला दिया गया।