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सीताराम येचुरी का राजनीतिक सफरl

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में निधन हो गया। निमोनिया की शिकायत होने के बाद उन्हें 19 अगस्त को AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया था। 25 दिन से उनका इलाज चल रहा था।

परिवार ने अस्पताल को CPI(M) नेता की बॉडी डोनेट की है। वे तीन बार पार्टी के महासचिव रहे थे।

 

वहीं, CPI(M) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘कॉमरेड सीताराम येचुरी को सांस की नली में गंभीर संक्रमण हुआ था। डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी।’

देशभर के नेताओं ने येचुरी को श्रद्धांजलि दी

  • पीएम मोदी ने कहा कि सीताराम येचुरी के निधन से गहरा दुःख हुआ। वे वामपंथ के प्रमुख नेता थे और उनमें राजनीति के विभिन्न पहलुओं से जुड़ने की क्षमता थी। उन्होंने प्रभावशाली सांसद के रूप में भी अपना योगदान दिया।
  • सोनिया गांधी ने कहा कि सीताराम येचुरी के निधन से मैं बहुत दुखी हूं। हमने 2004-08 के दौरान नजदीकी से काम किया और तब से जो मित्रता बनी, वह उनके निधन तक कायम रही। वे जीवनभर कम्युनिस्ट रहे, लेकिन उनका विश्वास लोकतांत्रिक मूल्यों में था। UPA-1 में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी और हाल ही में 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी के दौरान ‘INDIA’ गुट के उभार में उनका योगदान भी बहुत अहम था।
  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सीताराम येचुरी मेरे अच्छे दोस्त थे। वे भारत के विचार के सच्चे रक्षक थे और देश को अच्छी तरह समझते थे। मैं उनके साथ की गई लंबी चर्चाओं को बहुत याद करूंगा। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।
  • CM ममता बनर्जी ने कहा कि येचुरी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। वे एक अनुभवी सांसद थे और उनका जाना राष्ट्रीय राजनीति के लिए बड़ी क्षति है।
  • आंध्र प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि येचुरी जी के निधन पर गहरा दुख हुआ। वह भारतीय राजनीति के एक दिग्गज नेता थे। वह मुद्दों की बारीक समझ रखने वाले और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ाव के लिए जाने जाते थे। उनकी आत्मा को शांति मिले।HIGHLIGHTS
  1. येचुरी ने 72 साल की उम्र में ली अंतिम सांस।
  2. लंबे समय से एम्स में चल रहा था इलाज।
  3. येचुरी ने डोनेट कर रखा है अपना शरीर।

सांस की बीमारी से जूझ रहे थे सीताराम येचुरी

येचुरी लंबे समय से सांस की बीमारी से जूझ रहे थे। उनका दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लंबे समय से इलाज चल रहा था। उन्हें AIIMS में रेस्पिरेटरी सपोर्ट पर रखा गया था।

येचुरी को 19 अगस्त में सीने में संक्रमण के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखा गया। उनकी पार्टी के मुताबिक, डॉक्टरों की टीम उनके स्वास्थ्य पर बारीकी से नजर रख रही थी।

येचुरी ने डोनेट कर रखा है अपना शरीर

मार्क्सवादी राजनीतिज्ञ व पूर्व सांसद सीताराम येचुरी ने अपना शरीर डोनेट किया हुआ है। उन्होंने अपने शरीर को रिसर्च और टीचिंग के लिए डोनेट कर रखा है। इसलिए शनिवार यानी 14 सितंबर को उनका शरीर सीपीएम दफ्तर में लाया जाएगा, लेकिन इसके बाद फिर से उनके पार्थिक शरीर को एम्स में लाया जाएगा। क्योंकि उन्होंने अपना शरीर डोनेट कर रखा है।

2021 में युचेरी के बेटे का हो गया था निधन

वरिष्ठ माकपा नेता सीताराम येचुरी के बेटे आशीष येचुरी का (35वर्ष) 2021 में कोरोना काल में निधन हो गया था। अब सीताराम यचुरी के परिवार में सिर्फ तीन सदस्य बचे हैं, जिनमें येचुरी की पत्नी सीमी चिश्ती (पत्रकार) और बेटी अखिला येचुरी (प्रोफेसर) और बेटा दानिश हैं।

किससे हुई थी येचुरी की पहली शादी

राजनीति में लंबी पारी खेलने वाले सीताराम येचुरी की एक नहीं बल्कि दो शादी हुई थी। सीताराम येचुरी ने पहली शादी इंच्राणी मजूमदार से की थी। लेकिन इसके बाद उनकी दूसरी शादी सीमा चिश्ती से हुई थी।

2005 से 2017 तक रहे थे पश्चिम बंगाल के राज्यसभा सांसद

येचुरी एक भारतीय मार्क्सवादी राजनीतिज्ञ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव थे और 1992 से सीपीआई के पोलित ब्यूरो के सदस्य थे। वे 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सांसद रहे थे।

कहां हुआ था येचुरी का जन्म

येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास में एक तेलुगु परिवार में हुआ था। उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी और माता कल्पकम येचुरी आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के मूल निवासी थे। उनके पिता आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे। उनकी मां एक सरकारी अधिकारी थीं।

हैदराबाद में पले-बढ़े थे सीताराम येचुरी

येचुरी हैदराबाद में पले-बढ़े। उन्होंने 10वीं कक्षा तक हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाई स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद 1969 के तेलंगाना आंदोलन ने सीताराम येचुरी को दिल्ली आने पर मजबूर कर दिया।

सीताराम येचुरी ने नई दिल्ली में प्रेसिडेंट एस्टेट स्कूल में दाखिला लिया और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया।

आपातकाल के दौरान हुई थी गिरफ्तारी

इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) की पढ़ाई की और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अर्थशास्त्र में एमए किया। उन्होंने दोनों में प्रथम श्रेणी हासिल की। ​​उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी करने के लिए जेएनयू में दाखिला लिया। जिसे आपातकाल के दौरान उनकी गिरफ्तारी के साथ रद्द कर दिया गया।

तीन बार चुने गए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष

येचुरी को 1975 में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था, उस समय वे जेएनयू में छात्र थे। गिरफ्तारी से पहले वे कुछ समय के लिए भूमिगत रहे और आपातकाल के खिलाफ प्रतिरोध का आयोजन किया। आपातकाल के बाद, वे एक वर्ष (1977-78) के दौरान तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। येचुरी ने प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू में वामपंथी गढ़ बनाने में अहम भूमिका निभाई।

एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने थे सीताराम येचुरी

बता दें कि 1978 में सीताराम येचुरी को एसएफआई के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव के रूप में चुना गया और वे एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। वे एसएफआई के पहले अध्यक्ष थे जो केरल या बंगाल से नहीं थे।

इसके बाद 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए। 1985 में पार्टी संविधान को संशोधित किया गया और पांच सदस्यीय केंद्रीय सचिवालय चुना गया, जिसमें युवा दिग्गज शामिल थे।

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